पक्षी तो पहले भी चहचहाते होंगे
या शायद चीख कर कुछ कहते भी हों
हमनें कुछ ही दिनों से सुनना शुरू किया है
हाँ, कुछ दिनों से आसमान नीला सा ज़रूर दिखने लगा है
कुछ दिनों से रूठों को मनाने का मन करता है
और जो रिश्ते पास हैं उन्हें संजो कर रखने का मन करता है
कुछ दिनों से आत्ममंथन की चाह है
कुछ दोनों से रब ने जो दिया उसका शुक्र मनाने का मन करता है
और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगने का मन करता है
कहते हैं माफ़ करना वाले का दिल बहुत बड़ा होता है
तो कुदरत तू भी हम पर कर दे एक उपकार
और हम ये वादा ज़रूर करते हैं फिर उसी राह पर नहीं जायेंगे
खुद भी संभलेंगे और आने वाली पीढ़ी कोएक बेहतर जहान की सौगात देकर जायेंगे