रिश्तों की पाठशाला

रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं


बन तो बड़ी आसानी से जाते हैं
पर बन जाएं तो निभाए कैसे जाते हैं

मिलना लिखा ही होगा
तभी तो मिल पाए हम
रिश्ते की समापन तिथि की
भनक ही कहाँ थी हमें तब

पर आगे क्यों नहीं चल पाए हम

रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं

कुछ रिश्ते हमें मानो रास नहीं आए
ठीक से निभाने के अंदाज नहीं आए

कुछ बिगड़े रिश्ते ने हमें अंदर से
जैसे तोड़ दिया हो
और इस अधूरेपन ने मानो हमें
नीचोड़ सा दिया हो

रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं

काश रिश्तों की भी कोई पाठशाला होती
जहाँ रिश्तों का गणित इस तरह पढ़ाया जाता

अच्छी यादों को जमा करके
दिल की तिजोरी में
संजो कर रखने की कला

बुरी बातों को घटा कर
मन से रिश्ते को
टिका कर रखने की कला


खुशनुमा पलों को गुणा कर
मन में सुखद अनुभूति जो मिले
उस एहसास को महसूस करने की कला


दर्द ईमानदारी से बाँट लेना
चाहे वह अपना हो या अपनों का
उस सुकून के आभास की कला


हाँ रिश्ते शायद ऐसे ही निभाए जाते हैं


रिश्तों की नज़ाकत को
समझने की कला आ जाए तो
रिश्ते खुद ही गहरे हो जायेंगे


और इस बुनियाद पर बन जाएं तो
रिश्ते खुद ही टिकाऊ हो जायेंगे


हाँ रिश्ते तो ऐसे ही निभाए जाते हैं

रिश्ते तो ऐसे ही निभाए जाते हैं

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